वृक्षासन (Vrukshasan)

वृक्षासन (Vrukshasan)

विधिः

१.      खड़े होकर दोनों हाथों को सामने भूमि पर लगभग ६ इंच की दुरी बनाकर टिकाइये।
२.      शरीर का भार हाथों पे लेते हुए धीरे धीरे पैरो को भूमि से उठाकर आकाश में वृक्षवृत स्थिर कर दीजिए।
लाभ:
      यह आसन शरीर में बल और वीर्य की वृद्धि करता है। नेत्र विकारो एवं कफ विकारों को दूर करता है। हदय एवं फेफड़ो में पर्याप्त मात्रा में रक्त पहुंचा कर उनको स्वस्थ बनाता है।

प्राण मुद्रा (Pran Mudra)

प्राण मुद्रा (Pran Mudra)  http://assan-vyayam.blogspot.in/2015/03/pran-mudra.html

विधिः

यह मुद्रा कनिष्ठा, अनमिका तथा अंगुष्ठ के अग्रभागों परस्पर मिलाने से बनती है। शेष दो अंगुलियाँ सीधी रखनी चाहिए।

लाभ:
इस मुद्रा से प्राण की सुप्त शक्ति का जागरण होता है, आरोग्य,स्फूर्ति एवं ऊर्जा का विकास होता है। यह मुद्रा आँखों के दोषो को दूर करता है एवं नेत्र की ज्योति बढाती है और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाती है। विटामिनो की कमी दूर करती है तथा थकान दूर करके नवशक्ति का संचार करती है। अनिंद्रा में इसे गयान मुद्रा  के साथ करने से लाभ होता है।

शुन्य मुद्रा(Shunya Mudra)

विधिः
        मध्यमा अंगुली आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करती है,इसको अंगुष्ठ के मूल में लगाकर अंगूठे से हल्का दबाकर रखते है।  शेष अंगुलियाँ सीधी होनी चाहिए।
लाभ:
        इस मुद्रा से कान का बहना ,कान में दर्द और  कान दर्द के सभी रोगो के लिए कम से कम प्रति दिन एक घंटा करने से लाभ मिलता है। हदय रोग ठीक होते है और मसूढो की पकड़ मजबूत होती है। गले के रोग और थाइराइड रोग में लाभ मिलता है।

सावधानी: भोजन करते समय तथा चलते फिरते यह मुद्रा न करें

ज्ञान मुद्रा(Gyan mudra)

ज्ञान मुद्रा(Gyan mudra)  http://assan-vyayam.blogspot.in/2015/02/gyan-mudra.html

ज्ञान मुद्रा या ध्यान मुद्रा :अंगुष्ठ एवं तर्जनी अंगुली के अग्रभागों के परस्पर मिलाकर शेष तीनों अँगुलियों को सीधा रखना होता है।

लाभ : धारणा एवं धयानात्मक स्थिति का विकास होता है ,एकाग्रता बढ़ती है एवं नकारात्मक विचार कम् होते है। इस मुद्रा से स्मरण शक्ति बढ़ती है इसलिए इसके निरंतर अभ्यास से बच्चे मेघावी व् ओजस्वी बनते है। मष्तिष्क के स्नायु मजबूत होते है एवं सिरदर्द,अनिद्रा व् तनाव दूर होता है तथा क्रोध का नाश होता है।

हस्त मुद्राएं

हस्त मुद्राएं  http://assan-vyayam.blogspot.in/p/blog-page_20.html?spref=fb

         योग साधना में अष्टांगो के आलावा हस्त मुद्राओं का भी विशेष महत्व है। मुद्राएं आसनो का विकसित रूप है। हस्त मुद्राओं में इन्द्रियों की गौणता और प्राणो की प्रधानता होती है। इस पृथ्वी पर मुद्रा के समान सफलता देने वाला अन्य कोई कर्म नहीं है। मुद्राएं दो प्रकार की है :

१.        तत्वों का नियमन करने वाली हस्त मुद्राएं
२.        प्राणोत्थान व् कुण्डलिनी जागरण में सहायक मुद्राएँ
तत्वों का नियमन करने वाली हस्त मुद्राएं
           यह समस्त ब्रह्माण्ड पंचतत्वों से निर्मीत है। हमारा देह भी पंच तत्वों का संघात है। शरीर की पांच अंगुलियाँ इन पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करती है। अंगुष्ठ अग्नि का ,तर्जनी वायुका,मध्यमा आकाश का ,अनामिका पृथ्वीका का तथा कनिष्ठा जल तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। मुद्रा  के अनुसार इन्ही पांच तत्वों के समन्वय से शरीर कि आंतरिक ग्रंथियों,अवयवो तथा उनकी क्रियाओं  नियमित किया जाता है तथा शरीर की सुषुप्त शक्तियों को जागृत किया जाता है।

हस्त मुद्राएं तत्काल ही असर करना शरू कर देती है। जिस हाथमें ये मुद्राएं बनाते है , शरीर के विपरीत भाग में उनका तुरंत असर होना शरू हो जाता है। ये मुद्राएं किसी भी तरह कर सकते है। वज्रासन,सुखासन अथवा पद्मासन में बैठकर करना अधिक लाभ मिलता है। इन मुद्राओ को १० मिनिट से शरू करके ३० से ४५ मिनिट तक करने से पूर्ण लाभ  मिलता है।

सुप्तवज्रासन (Supt Vajrasana)

http://assan-vyayam.blogspot.in/2015/02/supt-vajrasana.html

विधिः

१.      वज्रासन में बैठकर हाथों को पाश्व भाग में रखकर उनकी सहायता से शरीर को पीछे झुकाते हुए भूमि पर सर को टिका दीजिये। घुटने मिले हुए हों तथा भूमि पर ठीके हुए हों।
२.      धीरे-धीरे  कंधो,ग्रीवा एवं पीठ को भूमि पर टिकाने का प्रयत्न कीजिये।  हाथों को जंघाओं पर सीधा रखे।
३.      आसन को छोड़ते समय कोहनियों एवं हाथों का सहारा लेते हुये वज्रासन में बैठ जाइए।

लाभ:
१.      इस आसन से पेट के निचे वाला भाग खींचता है जिससे बड़ी आंत सक्रीय होने से कोष्ठबद्धता मिटती है।
२.      नाभि का टलना दूर करता है , गुर्दो के लिए भी लाभप्रद है।

Exercise Workout Three..

Exercise Workout Three
Without equipment workouts collection with visual easy to follow guides for all fitness level..6 exercise a day.
      ये सभी EXERCISE आप अपने घर पे ही  कर सकते हो। बढाकर पूरा SET LEVEL 1, 4 सेट और LEVEL २, 7  सेट  और  LEVEL
for more detail click..link:  http://assan-vyayam.blogspot.in/2015/02/exercise-workout-three.html
३,10  सेट,  हर एक  लेवल पे 60  सेकंड  का REST लेना है ।

गर्दन के दर्द में राहत पाने के ६ आसन (FOR NECK PAIN)

http://assan-vyayam.blogspot.in/2015/01/for-neck-pain.html

गर्दन(Neckpain) में दर्द रहने का सबसे बड़ा कारन है लंबे समय तक एक ही आसन में बैठकर काम करना और रात को गलत तरीके सोना और कसरत का अभाव देखा जाता है।
गर्दन में दर्द को दूर करने के लिए हम आपके लिए लायें है दैनिक व्यस्त कार्यक्रम में सात आसान योग मुद्राओ। जैसे की बालासन(Balasan), नटराजासन (Natrajasan),मजरासना (cowpose-catpose),सर्वंगासन(Sarvangasan) , त्रिकोणासन(Trikonasana), सवासना(Savasana) ।

नटराजासन (Natrajasan)
 

विधिः 
१.     पूर्ववत खड़े होकर दायें पैर को पीछे की और मोड़िए। दायां हाथ कन्धे के ऊपर से लेकर दाएं पैर का अंगूठा पकड़िए।
२.     दायां हाथ सामने सीधा ऊपर की और उठा हुवा होगा। इस पैर से करने के पश्वात दूसरे पैर से इसी प्रकार करे।

लाभ:
       गर्दन को लचीला बनाता  है और हाथ एवं पैर के स्नायु को विकास करता है। स्नायुमण्डल को सुद्धढ बनाता है।

त्रिकोणासन(TRIKONASANA)

१.     दोनों पैरो के बीच में लगभग डेढ़ फुट का अन्तर रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ। दोनों हाथ कंधो के समानान्तर पाश्व भाग मे खुले हुए हों।
२.     श्वास अन्दर भरते हुए बाएं हाथ को सामने से लेते हुए बाएं पंजे के पास भूमि पर टिका दें अथवा पंजे को एड़ी का पास लगायें तथा दाएं हाथ को ऊपर की तरफ उठाकर गर्दन को दाए ओर घुमाते हुए दाए हाथ को देखें ,फिर श्वास छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में आकर इस तरह अभ्यास को बार बार करें।

लाभ:    कटी प्रदेश लचीला बनता है। पाश्वा भाग की चर्बी को कम करता है। छाती का विकास होता है।
मार्जरासन (Marjrasana)
(cowpose-catpose)

विधिः
१.      दोनों हाथों की हथेलियों एवं घुटनों को भूमि पर टिकाते हुए स्थिति लीजिये।

२.      अब श्वास अन्दर भरकर छाती और सिर को ऊपर उठाये ,कमर निचे की ओर झुकी हुई हो। थोड़ी देर इस स्थिति में रहकर श्वास बाहर छोड़ते हुए पीठ को ऊपर उठाये तथा सर को निचे झुकायें।

लाभ:
गर्दन के दर्द में राहत मिलती है और कटी पीड़ा ओर गैस ,कब्ज एवं फेफड़ो को मजबूत करता है और गर्भाशय को बाहर निकलने जैसो रोगो को दूर करता है।

सर्वांगासन(Sarvanga asan)

विधि :

१.  पीठ के बल सीधा लेट जाये।  पैर जोड़ के रखे,हाथो को दोनों और बगल में सटाकर हथेलियाँ जमीं की ओर करके रखे.

२. स्वास अंदर भरकर पैरो को धीरे धीरे ३० डिग्री , फिर ६० डिग्री  और अंत में ९० डिग्री  तक उठाए।पैरो को उठाते समय हाथो का सहारा ले। यदि  पैर सीधा न हो तो हाथो को उठाकर  कमर के पीछे रखे। पैरो को सीधा मिलाकर रखे और कोहनियाँ भूमि पर टिकी हुए रखे। आँखे बंद एवं पंजे ऊपर तने हुए रखे। धीरे -धीरे ये आसान २ मिनिट से शरू करके आधे घंटे तक करने कोशिश करे।

३. वापस आते समय जिस क्रम से उठे थे उसी क्रम से धीरे धीरे वापस आये। जितने समय तक सर्वांगासन किया जाये उतने ही समय शवाशन में विश्राम करे।

लाभ :
१.  गर्दन के स्नायुओ को लचीला बनता है और मोटापा ,दुर्बलता,कदवृद्धि में लाभ मिलते है ,एवं थकान आदि विकार दूर होते है।
२. इस आसन से थाइरोड को सक्रीय एवं पिच्युरेटी ग्लैड के क्रियाशील होने    से यह कद वृद्धि में उपयोगी है।

बालसन-विश्रामासन(Balasana)

विधिः 
१.      पेट के बल लेटकर बाएँ हाथ को सिर के निचे भूमि पर रखें तथा गर्दन को दाई और घुमाते हुए सर को हाथों पर रखें दें,बायाँ हाथ सिर कर निचे होगा तथा बाएं हाथ की हथेली दाएँ हाथ की निचे रहेंगी।

२.      दायें पैर को घुटने से थोड़ा मोडकर जैसे बालक लेटता है , वेसे लेटकर विश्राम करें। इसी प्रकार यह आसन दूसरी और से किया जाता है।

लाभ:
पुरे शरीर एवं मन की थकान को दूर करता है और गर्दन को आराम मिलता है।

शवासन
 विधिः
          पीठ के बल सीधे भूमि पर लेट जाइए।  दोनों पैरो में लगभग एक फूट का अन्तर हो तह दोनों हाथो को भी जंघाओं से थोड़ी दूर पर रखते हुए हाथों को ऊपर की और खोलकर रखें। आँखे बंद,गर्दन सीधी,पूरा शरीर तनाव रहित अवस्था में हो। धीरे-धीरे चार-पांच श्वास लम्बे भरें व् छोड़े। अब हमें इस समय शरीर को पूर्ण विश्राम देना है।
लाभ:
        सभी आसन के बाद किया जानेवाला ये आसान है। ये आसान शरीर,मन और स्नायुओं को पूर्ण विराम देता है।

Exercise Workout Two

http://assan-vyayam.blogspot.in/2015/02/exercise-workout-two.html

Exercise Workout Two

Without equipment workouts collection with visual easy to follow guides for all fitness level..5 exercise a day.
 


 
 
 
 
 
   ये सभी EXERCISE आप अपने घर पे ही  कर सकते हो। ये सभी EXERCISE  20 सेकंड करना है और २० सेकंड रेस्ट लेना है। बढाकर पूरा SET LEVEL 1, ३ सेट में हर एक एक्सरसाइज ६० सेकंड, LEVEL २, ५ सेट में १०० सेकंड और  LEVEL ३,७ सेट  में बढाकर १४० सेकंड हर एक एक्सरसाइज करना है। हर एक  लेवल पे ३ मिनिट का REST लेना है ।